भारत का ऑटोमोटिव एक्सपोर्ट 60 बिलियन $ तक पहुंचने की राह पर: सरकार



भारत अगले 5 साल में 60 बिलियन डॉलर ऑटो एक्सपोर्ट का टारगेट:

भारत सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, उचित सरकारी सहायता से भारत 2030 तक अपने कार निर्यात को चौगुना बढ़ाकर 60 बिलियन डॉलर तक पहुंचा सकता है। इसके अतिरिक्त, 25 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष प्राप्त किया जा सकता है, तथा देश में 20 से 25 लाख नए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए जा सकते हैं। इससे भारत को नवाचार पर केंद्रित वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित होने में मदद मिलेगी।


क्यों संभव है यह लक्ष्य?

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) बूम: भारत EV मैन्युफैक्चरिंग में चीन को टक्कर देगा।

सरकारी सपोर्ट: FAME, पीएम ई-ड्राइव और PLI जैसी योजनाओं के तहत 66,000 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता

ग्लोबल डिमांड: यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में भारतीय वाहनों की मांग बढ़ी।


चुनौतियाँ और समाधान

इन्फ्रास्ट्रक्चर: चार्जिंग स्टेशन्स और सप्लाई चेन को मजबूत करना।

स्किल डेवलपमेंट: ऑटो सेक्टर में जॉब्स बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स।


भारत ग्लोबल ऑटो हब: 

भारत वर्तमान में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता है। यह उल्लेखनीय है कि भारत की अर्थव्यवस्था ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर करती है। यह देश के विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद का 49% और देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 7.1% बनाता है। भारत ने 2023-2024 में लगभग 28 मिलियन ऑटोमोबाइल का उत्पादन किया। 

फिर भी, भारत दुनिया के कार पार्ट्स बाजार का केवल 3% या लगभग 20 बिलियन डॉलर का हिस्सा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विकास के लिए बहुत जगह है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, लक्ष्य 2030 तक ऑटो पार्ट्स के व्यापार के हिस्से को 8% तक बढ़ाना, निर्यात को 60 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना और उत्पादन को 145 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है।


भारत में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति: नई संभावनाएं और चुनौतियाँ:

•इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की मांग बढ़ने के साथ ही उन्नत सामग्री, बैटरी और सेमीकंडक्टर अधिक से अधिक आवश्यक होते जा रहे हैं। 

•चीन में 2023 में 80 लाख से अधिक ईवी का उत्पादन किया गया और यूरोप और अमेरिका में भी ईवी को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

•3डी प्रिंटिंग, रोबोटिक्स, IoT और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सभी कार उत्पादन प्रक्रिया की दक्षता में सुधार कर रहे हैं। 

•दक्षिण कोरिया और जर्मनी "स्मार्ट फैक्ट्री" प्रौद्योगिकियों में अग्रणी हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय भी भारत के स्मार्ट उद्योगों को वित्त पोषित कर रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएँ:

अगर भारत उचित दृष्टिकोण अपनाए तो वह दुनिया की अगली पीढ़ी की मोबिलिटी तकनीक में भारी निवेश कर सकता है। भारत में, हरित ऊर्जा और यात्रा-संबंधी परिवहन विकल्प बहुत महत्वपूर्ण हो सकते हैं।


निष्कर्ष:

"भारत का ऑटो सेक्टर ग्लोबल लीडर बनने की ओर! सरकार, इंडस्ट्री और नागरिकों की टीमवर्क से यह लक्ष्य हासिल होगा।"

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