वक्फ क्या होता है?
वक्फ के नाम से जानी जाने वाली इस्लामी व्यवस्था के तहत मुसलमान अल्लाह के नाम पर पैसा, ज़मीन या दूसरी संपत्ति दान कर सकता है। फिर, इस ज़मीन का इस्तेमाल किसी सामाजिक या धार्मिक उद्देश्य, जैसे अस्पताल, स्कूल, कब्रिस्तान, मस्जिद आदि के लिए किया जाता है। संपत्ति हर राज्य में स्थित होती है और इसका प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है।
वक्फ संशोधन कानून 2013 क्या है?
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2013 बनाया, जो वक्फ अधिनियम 1995 का अद्यतन है। इसके मुख्य बिंदु हैं: वक्फ संपत्ति की पहचान और दस्तावेज़ीकरण में सुधार किया गया। वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और छेड़छाड़ को रोकने की जिम्मेदारी सरकार पर डाली गई। जब तक अदालत कोई फैसला नहीं करती, तब तक कोई भी व्यक्ति या संगठन वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई किसी भी जमीन पर दावा नहीं कर सकता। वक्फ संपत्ति की बिक्री और लीज के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनाए गए।
क्या है विवाद और सुप्रीम कोर्ट में मामला? (16 अप्रैल 2025 की स्थिति)
कई संगठनों और नेताओं के अनुसार, यह विधेयक संविधान का उल्लंघन करता है क्योंकि इसमें वक्फ बोर्ड के पास बहुत अधिक शक्ति है।
•गैर-मुस्लिमों की संपत्तियों को भी अक्सर वक्फ घोषित कर दिया जाता है, जिससे विवाद होता है।
•बिना कोर्ट के आदेश के संपत्ति पर दावा करना किसी के अधिकारों का हनन है।
इसलिए, AAP नेता अमानतुल्लाह खान और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस क़ानून को चुनौती दी है और सुप्रीम कोर्ट से इसे अवैध घोषित करने की मांग की है। इस बीच, भाजपा सरकारों वाले छह राज्यों ने अदालत में याचिका दायर कर तर्क दिया है कि यह क़ानून सही है और यह मुस्लिम समुदाय की पवित्र संपत्ति की रक्षा करता है।
राज्यों का क्या कहना है?
भाजपा शासित राज्यों का कहना है कि वक्फ कानून देश की धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के अनुरूप है और इससे अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्तियों की सुरक्षा होती है।
फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
अगर सुप्रीम कोर्ट इस कानून को रद्द करता है, तो:
•वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम हो जाएंगी।
•कई पुराने भूमि विवादों को दोबारा देखा जाएगा।
•अगर कोर्ट इस कानून को जायज़ ठहराता है, तो:
•वक्फ बोर्ड की शक्तियां और मजबूत होंगी।
•सरकारों को वक्फ संपत्तियों को लेकर और सतर्क रहना पड़ेगा।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई एक बड़ा संवैधानिक मामला बन चुका है। एक तरफ विपक्षी नेता इसे धर्मनिरपेक्षता पर हमला मानते हैं, वहीं भाजपा शासित राज्य इसे एक ज़रूरी कानून मान रहे हैं। आने वाले दिनों में यह फैसला देश की कानूनी और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।

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